"Message form our Gurudevji"

आत्म स्वरुपों !
आप सब पर श्री साईबाबा एवं श्री सत्यसाई बाबा के अनेक आशीर्वाद |

शिक्षा और विद्या में अंतर होता है | प्राचीन काल में गुरूकुलों में आचार्यगण अपने विद्यार्थियों को विद्या प्रदान करते थे, इसलिए कहा गया है “विद्या विनयेन्‌ शोभते " विद्या की शोभा विनय में है, जो श्री साईदास क्लासेस में सर्वत्र दृष्टिगोचर होती है। किन्तु वर्तमान काल में शिक्षा जिसके द्वारा हम अपने बच्चों को उच्चतम आजीविका का स्रोत प्राप्त हो, ऐसी शिक्षा के प्रति आकृष्ट होते हैं, जिसे हम Job Oriented Education कहते हैं |

शिक्षा मस्तिष्क को एवं विद्या हृदय को प्रकाशित करती है, इसलिए हमारी आर्यकालीन संस्कृति में महान विद्यार्थियों को तैयार किया था, जिन्होंने फिर संपूर्ण विश्व में , संपूर्ण भूमण्डल में , वैदिक शिक्षा का झण्डा फहराया था |

श्री साईदास क्लासेस विगत 26 वर्षों से वैदिक सत्य, सूत्र, आचरण , अनुशासन, सत्कर्म , उच्चतम्‌ ध्येय एवं सादा जीवन और पवित्र विचारों को अपने विद्यार्थियों को प्रदान कर रही है |।चिरंजीव सौरभ एवं सुश्री शिखा श्रीवास्तव पूर्ण सत्य , शक्ति, प्रेमपूर्ण, अनुशासन के साथ, नियमाँ के साथ, इसे सफलता पूर्वक संचालित कर रहे हैं | ये दोनों बच्चे साधूवाद के पात्र हैं तथा इन्होंने भारतीय शिक्षा और विद्या के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अपनी सफलता के महान कीर्तिमान स्थापित किए हैं| सम्पूर्ण भारत में और विदेशों में भी इनकी श्री साईदास क्लासेस की चर्चाएँ, उच्च शिक्षा शास्त्रियों , चिन्तकों के बीच है एवं उच्च शिक्षा जगत में श्री साईदास क्लासेस का नाम आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है | विद्यार्थी और अध्यापक के मध्य का प्रेम , स्नेह और सूत्र इसी Brochure में एक संक्षिप्त, विद्यार्थियों के पत्रों का संकलन भी प्रकाशित किया जा रहा है |जो हमें उस काल में ले जाता है जब विद्यार्थी अपने शिक्षकों को प्राणों से अधिक प्रेम करते थे |

“Sant Shiromani Samarth
Sadguru Shri Saidas Baba ji”
इसी शुभाशीर्वाद सहित,
श्री साईदास बाबा जी